यह घोर कलयुग है , सुना था मैंने
चारो और अँधेरा छाएगा, सुना था मैंने
लोग, लोगो को तकलीफ पहुचाएंगे सुना था मैंने
अँधेरी दुनिया, और अँधा इन्सान बस यही कहा था मैंने !
वो दिन कहा गुम हो गए जब माँ को प्यार से हम गले लगा लिया करते थे?
जब पापा को घर आने के पहले कुछ मीठा लाने को कहते थे?
जब भाई से झघढ कर, एक टुकड़ा ज्यादा खा लेने पर खुश हो जाया करते थे?
अँधेरी दुनिया और अँधेरा इंसान बस यही सोचा मैंने!
क्या घोर कलयुग है !
आज 'कूल' वोह नहीं जो घर को घर समझे
पर कूल वह है जो घरवालो को अहमियत न देकर अंजानो को अपना बनाये
जो भारतीय सभ्यता को पिछाडा बताये और सूट ,सारी पहनी महिलाओ को 'नोट सो कूल' समझे
अँधेरी दुनिया और अँधा इंसान बस यही कहा मैंने।
क्या तुम अब तक वर्जिन हो? पूछ कर कूल होने का सबुत मांगे
कितनी लडकियों को घुमाया पूछ कर सफलता का मोहरा लगाये
लडकियों के कॉल आने पर यह बताये के कितनो के साथ सोये है
अँधेरी दुनिया और अँधा इंसान, लीला अपरम्पार!
काश लोग समझ पाते, काश के मैं कह पाती
के सफलता बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड बनाने मे
या किसी से तारीफ पाने मैं नहीं
बल्कि अपने आप मैं खुश रहना और संतुष्ट रहने मे है!
काश के मैं कह पाती
अंग्रेजी मे बात करने वाले और हिंदी को तुच्छ कहने वाले
पहले अपने गिरेबान मे झाके, अपने विचारो को खोले
क्या अंग्रेजी न आने पर या बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड न होने पर कोई अच्छा या आधुनिक नहीं होता?
सुन्दरता, गोरा या सावला होने मे नहीं, बल्कि मन से साफ़ रहने मे है
पर इस कलयुग मे अँधेरी दुनिया है और अँधेरा इंसान!
ना पापी को सज़ा मिलती है और ना निर्दोष को बेल।
अँधेरी दुनिया
और उसमे
अँधेरे इंसान!
वाह यह लीला अपरंपार।
न आज की पढ़ी यह समझेगी और न समझना चाहेगी
क्युकि सभी इस दुनिया को जीतना चाहते है जो कभी उनकी है हे नहीं!